मंगलवार, 1 सितंबर 2015
कविता-२५४ : "फिर भी क्यूँ नहीं समझते..."
पत्थरो को ज्ञान देते हो
क्यों
____?
सागर ने आग ऊगली
कभी
,
या
सूरज ने दी शीतलता
नहीं न
___
फिर उसने यदि
बेबफाई की तो....की
पर तुमने
वफा की गुहार के साथ
क्यों कहा
फिर भी क्यों नहीं समझते...???
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