मिट्टी के गुड्डे गुडिया
रंगीले कपड़ो से उनका श्रंगार
हल्दी रोली से उनका टीका
आटे की छोटी छोटी अठबाई
कुछ मिष्ठान पकोड़े...
रंगीले कपड़ो से उनका श्रंगार
हल्दी रोली से उनका टीका
आटे की छोटी छोटी अठबाई
कुछ मिष्ठान पकोड़े...
फिर उनका संस्कार विवाह..
फेरे बरगद के पेड़ के...
सच... सोचकर ही पहुँच जाता हूँ
उसी मदमस्त बचपन में...
जहाँ नहीं चाहते बड़े होना
कभी...
ये आनंद की अनुभूति ही
लौटा देती है मेरा
सब कुछ...!!!
कभी...
ये आनंद की अनुभूति ही
लौटा देती है मेरा
सब कुछ...!!!
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