काश मिलता होता
किसी दुकान पर....
तो होता कितना अच्छा ....
रोज रोज की
ये भीख सी आदत मांगने की..
और... रोज रोज का
भाव खाना/ मना करना
खत्म कर देता..
खाली हाँथ जाता दुकान पर
और
लाता झोली में स्नेह प्यार ढेर सारा...
कितना अच्छा होता
है न...!!!
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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________
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