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सोमवार, 30 मार्च 2015

कविता-९७ : "शर्तो पर रखी जिन्दगी..."


शर्तो पर रखी जिन्दगी
शर्तो जैसी ही होती है....
दम तोडती सी...
साँसे छोडती सी...

काश !
जिन्दगी ने रखी होती
शर्त...
शर्त न लगाने की तो
शायद...

जिन्दगी होती फिर
जिन्दगी के अहसास सी..
कुछ खास सी...!!!

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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________

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