शर्तो जैसी ही
होती है....
दम तोडती सी...
साँसे छोडती
सी...
काश !
जिन्दगी ने रखी
होती
शर्त...
शर्त न लगाने की
तो
शायद...
जिन्दगी होती
फिर
जिन्दगी के अहसास सी..
कुछ खास सी...!!!
-------------------------------------------------------------
_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें