परेशान
और कुछ कुछ
अंजान भी...
न कोई थकान
न कोई लगाम
और कुछ कुछ
शैतान भी...
न कल का भान
तनिक न अभिमान
और कुछ कुछ भगवान भी..
खिलखिलाता
मुस्कराता
और हंसाता...
चपल मन.....
बचपन...!!!
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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________
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