बुधवार, 19 अगस्त 2015
कविता-२३७ : "भीड़..."
मैंने देखी जिन्दगी में
भीड़ कितनी
कभी धरती पर तो कभी
आकाश में
तो कभी पानी में
पेड़ो पर पहाड़ो पर
और तो और
इंसान के दिल में भी
___
पर भीड़ में
ऐसा कुछ नहीं देखा
यकीनन...!!!
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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________
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