कही खुशियां देती घर पर
दस्तक
कही , अरमान कहीं कोई
ढलता है__
साँसों का संगीत कही है
कहीं
ख़ूनी तांडव चलता है
उगने से आती है किरणे
तो कही
हर और सूरज ढलता है
ठहराव कहीं भी होता
किन्तु
भूचाल कही भी चलता है
बेबस रोटी और बिलखती
साँसों से खिलवाड़
हुआ जब
तय मानो ये यारो
दिल रेजा रेजा जलता है...!!!
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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________
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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________
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