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शुक्रवार, 21 अगस्त 2015

कविता-२३९ : "शहर की भीड़..."



बड़ा सा शहर था वो ___
शहर में भीड़ भी
और भीड़ के दौड़ते लोग
चौड़ी सी सड़को  पर
सड़क के बीच
उसी भीड़ में
अठारह बीस के करीब
की एक युवती __
भारी अनियंत्रित यातायात
की चपेट में /किसी वाहन
की ठोकर से
छोड़ गई साँसे ___
बड़े वाहन की ठोकर उपरांत
 घटना स्थल के
चारो और जमा होती भीड़
भीड़ की आँखे
पार्थिव देह पर ही ..
और उनमे से कुछ आँखे
युवती के चढे हुए वस्त्रो के
अंदर अंगो पर____
बढ़ती भीड़ की ठहरती
आँखे __
दुर्घटना से भी
खतरनाक_
और उन आँखों में कुछ
नशीली / हवसी आँखे
और भी
खतरनाक...!!!

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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________

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