मेरी देह से जुडे
सीधे
हांथ की कलाई में
आज के दिन बंधता था
एक
पीला धागा
जो खुलता न था तीन
मजबूत
गांठो से....
बन जाता था एक निशान
वहां
समय बढ़ गया
फिर ये दिवस आया
हाँथ भी है
वो निशान वाली जगह
भी है
पर राखी नहीं...!!!
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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________
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