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रविवार, 15 फ़रवरी 2015

कविता-५१ : "भूख और रोटी"

भूख और रोटी का गहरा सम्बन्ध है
सांसो का देह से जैसे अनुबन्ध है...

रोटी भूख को मिटाती है
साँसे शरीर को चलती है...

भूख और रोटी......
दोनों ही जरुरत है इन्सान की
भूख की ज्वाला को रोटी
शांत कर देती है
पर !
रोटी की चाहत रोटी की प्राप्ति
इन्सान पर
इन्सान के कर्म पर....
उसके श्रम पर
मेहनत पर
और कुछ ....
भाग्य पर भी....
इसलिए कहा गया
शायद....
किस्मत हो खोटी
तो भूखे को न मिले रोटी...!!!
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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________

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