ग़ज़ल का ग भी पता
नहीं....
लेखन और साहित्य
क्या
इसका कुछ अता पता
नहीं
सिर्फ पता है
कि...
लिखता हूँ दिल से
कलम से
कागज पर
शव्दों को...
और !
आप खुद कहते है
मुझसे
कविता
ग़ज़ल
लेखन
साहित्य..!!!
आदमी....
आदमी के अन्दर एक
आदमी
इस आदमी के अन्दर
एक और आदमी
एक आदमी सच का
दूसरा आदमी झूट
का
और!
तीसरा ही बतलाता
है
कि...
कब कौन सा बोलेगा
आदमी...!!!
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_____ आपका अपना : 'अखिल जैन' _____
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