तुमसे प्यार भी बहुत
और तकरार भी बहुत...
तुम पास भी बहुत
और दूर भी बहुत...
तुम खोने का डर भी
और पाने का गम भी...
खोफ सी ही हो
और नहीं जिन्दगी से कम भी...
तुझसे दूर जाऊ
या पास आऊ...
बताओ ......बताओ
करूँ क्या.....??
कैसी ये उलझन है...
कैसी
ये उलझन है.....!!!
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_________आपका अपना ‘अखिल
जैन’_________
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