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शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2015

कविता-५७ : "तुम्हारा नाम... "

हां मैंने लिख दिया तुम्हारा नाम
उस सुखी पत्ती पर..
तुम्हारे नाम को पाते ही
हरी हो गई वो फिर से...

मैंने लिख दिया तुम्हारा नाम
दूर गगन में उस नन्हे तारे पर
देखो कैसा मुस्करा रहा है वो अब...

मैंने लिख दिया तुम्हारा नाम
नदी से अलगाव करती लहरों पर
लिखते ही प्रीत तो देखो
नदी संग लहरों की...

हां मैंने लिख दिया तुम्हारा नाम
मेरी साँसों पर...
लिखते ही उठा ली कलम
और लिख दिया कागज में
तुम्हे कविता में...!!!
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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________

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