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बुधवार, 4 फ़रवरी 2015

कविता-३९ : "बस... इंतज़ार..."

सदियों सदियों से ही
जन्मो जन्मो तक
चौरासी लाख योनियो में
भटकते हुए...

आत्मा का आत्मा से
ह्रदय की अनंतानत गहराईयो से
तुम्हारे आगमन की प्रथम
नाद का...

इंतजार...,
सिर्फ इंतजार
कल आज और कल
सदैव ही...

आ जाओ और खत्म कर दो
ये खेल हमेशा का...!!!
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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________

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