समुन्दर ने
कहा...
बारिश की एक
बूँद से...
तुम्हारा वजूद
ही क्या ?
मेरे सामने...
सुनकर , हंसकर बोली
नन्ही बूँद
बारिश की......
रुको !
बरसती हूँ
बारिश संग
और गिरकर
तुझमे..
सागर ही हो
जाउंगी ...
और फिर यही बात
जो तुमने
मुझसे कही..
मै भी कहूँगी
किसी दूसरी
बारिश की बूँद
से...!!!
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_________आपका अपना ‘अखिल
जैन’_________
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