कागज को उठाया ही था
कलम भी पास थी
और दवात भी ..
तुम आ गये तभी...
मुस्कराये..
कसमे खाई..
हाँथ थामा..
रूठे..
टूटे..
वादे तोड़े...
और छोड़ दिया तन्हा..
फिर क्या ??
देखा कागज पर
लिखा था...
अफसाना जिन्दगी का...
सच !!!
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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________