मेरे तुम्हारे बीच
आज भी शेष है बहुत कुछ
तुम जरा बढ़ो तो सही...
अपनी आँखों के घेरे में
उभार लो तस्वीर मेरी
और महसूस करो अपनी
साँसों के ही संग...
मधुर यादो को कर दो जीवित
फिर से
खोल दो स्मृतियों के पट सारे...
आओ संग साथ मेरे
खेले फिर से वो लुका छिपी
गिल्ली डंडा, लंगड़ी दौड़
और रचाये शादी गुडियो की
देखना फिर...
पुरानी यादे फिर से चहचहा
उठेंगी कोयल की तरह
और प्यार की बारिश से
भीग जायेगे फिर हम और तुम
फिर दूरियां कहाँ बचेगी
शेष...
मेरे तुम्हारे बीच
सच में...!!!
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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________
मेरे और तुम्हारे बीच....
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