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मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

कविता-१०५ : "अहसास तेरे प्यार का..."

अहसास तेरे प्यार का
सिर्फ अहसास तक ही कहाँ...

तेरा प्यार
घुल कर मेरी साँसों संग
देता है जिन्दगी मुझे...

जहाँ मै हो चलता हूँ तेरा
और तू मेरी
फिर मेरा प्यार का अहसास...

और..
तेरे प्यार का अहसास
हो जाते एक ही...

फिर प्यार, प्यार कहाँ रह जाता
परमेश्वर हो जाता है...!!!
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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________

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