नदी थी तुम...
मै पहाड़ सा...
कल्लोल करके बहती तुम
मै ढीठ अडिग खड़ा-खड़ा...
तुम कोमल फूल सी
मै शूल सा...
तुम मोम सी
मै इस्पात सा..
तुम हो तुम सी
मै हूँ मै सा...
तुमने दिया बहुत कुछ
मैंने लिया बहुत कुछ...
क्योकि...
तुम नारी हो
और मै नर...!!!
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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________
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