मैंने तुझे जग से माँगा
नहीं मिला...
फिर
सब से माँगा
नहीं मिला....
वहां से माँगा
नहीं मिला...
फिर रब से माँगा
अभी तक नहीं मिला...
पर !
अभी भी मिलने की आस कर
रहा हूँ मै...
किसी टूटते तारे की तलाश
कर रहा हूँ मै...
हाँ...
तुझे प्यार कर रहा हूँ मै...!!!
-------------------------------------------------------------
_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें