सत्य को सत्य लिखा
तो कुछ न मिला...
झूठ को सत्य
लिखा
तो कुछ मिला...
फिर लिखा सत्य
भी झूठ भी
जहाँ जैसा ठीक
लगे...
तब से आराम से
जी रहा हूँ
आप के बीच
ही...!!!
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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________
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