क्या है न्याय...???
इन्सान के मौलिक
अधिकारों
का संरक्षण / प्राप्ति...
का संरक्षण / प्राप्ति...
या सिर्फ इन्सान द्वारा
निर्धारित एक तंत्र...
जिसमे नियमो के दायरे
में न्याय की गुहार लगाता
उसे पाने वह
घूमता है दर बदर
और न्याय सिर्फ बैठा होता है
एक तराजू में...
और हँसता रहता है
इन्सान पर...!!!
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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________
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