सपने जैसी ही थी तुम
पर हकीकत में
हकीकत का आसमान ही मिल गया
तुम्हारे आने से.....
दिल में कोने कोने में सुर्ख
मरुस्थल ही था
पर झमाझम बारिश हो गई
अचानक....
पेड़ पौधे पत्ती वत्ती सब हरे हरे
हवाओ में महक
कोयल की चहक
नदियो का मधुर शोर
तुम आये जैसे सावन आया
मेरे चेहरे पर भी मुस्कराहट
पर
उफ़्फ़्फ़्फ़
अभी उठाना था तुमको
मुझे सोते से ।।
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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________
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