बहुत छोटा शब्द है ये
पर मायने उतने ही बडे......
एक बूंद के विन्यास पर
सागर जैसा चिंतन
और बूंद दर्शिता का बखान
इतना आसान भी नहीं.....
और बूँद की आत्मा का
सम्पूर्ण कथागत विवेचन
सुखद है
पर, उसके विपरीत
प्रतिकूल
विरोधात्मक
उदगार / विचार
आलोचना...
जो बहुत पसंद है मुझे... !!!
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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________
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