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रविवार, 5 जुलाई 2015

कविता-१९२ : "परिवार..."

परिवार...
वैसे तो एक इकाई है

एक समूह है सदस्यों का

जहाँ , खून के रिश्तों से जुड़े लोग
रहते हैं .....

पर, 

एक मानवीय समूह
ऐसा भी

जहाँ न खून से जुड़े रिश्ते है

और न ही एक सी जति धर्म के लोग
आभासी दुनिया के
पर, अति भासी लोग
नेह समर्पण और अतुलनीयता
से लबालब
अनदेखे पर ह्रदय से जुड़े लोग
जहाँ
शौक और आदते
लगभग समान ही.....
छंदमुक्त पाठशाला परिवार
सच कितना प्यारा...!!!

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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________

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