जिन्दगी में
तुम्हे क्या बताये
तुम ही सोच लो
जान लो खुद ही
तुम...
मैंने तो
जिंदगी तुम्हारे नाम
ही कर दी
आठो पहर
ख़ुशी मुस्कान
और भी सब वो
जिससे ये
जिन्दगी है
इसके बाद जानने
का क्या रहा
शेष ??
फिर भी जान
लेना पहचान लेना
क्योकि
आदत है हमें
छिपाने की
और इसी कारण से
तो नहीं
जान पाये
तुम मेरी
बेपनाह
मुहब्बत को...!!!
------------------------------------------------------------
............ आपका अपना... 'अखिल जैन'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें