हे कलम...
मैंने तो न्याय
ही
माँगा था
और लिखा भी...
अब !
पढने वालो ने
अन्याय किया तो
क्या दोष
तेरा और
मेरा ??
मेने तो तुझसे
प्यार ही मांगा
था
और !
लिखा भी...
अब
देखने वालो ने
गिला दिया तो
क्या दोष
तेरा और
मेरा ??
हे कलम
मेने तो तुझसे
जीत ही मांगी थी
और !
लिखी भी...
अब !
दूसरो ने हार दी
तो
क्या दोष
तेरा और
मेरा ??
हे कलम
तू और में
एक साथ ही
चले थे...
और !
चलेगे...
साथ है जब तक
तेरा
और
मेरा...!!!
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_________आपका अपना ‘अखिल
जैन’________
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