गिरेगी बूँद पसीने
की
हो सकता है
पर भरी धूप में मेरे
हाँथो का अहसास
शीतलता ही देगा
तुम मेरे साथ मिलकर
चलो तो सही…
भोर होगी , जरूर होगी
न भी हो
कहने पर तुम्हारे
मान लेता हूँ
पर, मेरे साथ तुमको
दिखाई न देगा निशा
का छोर
तुम मेरे साथ मिलकर
चलो तो सही…
आ भी जाओ अब
मेरी ह्रदय की धड़कन
में
हो सकता है न धड़के
कभी ये
मांस का एक टुकड़ा
पर रहोगे मेरे साथ
ही
सच…
तुम मेरे साथ मिलकर
चलो तो सही…
लिखता हूँ मैं
जैसे सदियो से लिखता
ही आ रहा
ज़माने की बातो पर
पर तुम आ जाओ स्याह
में
फिर शब्दों से भी
लिखेगा
तुम्हारा नाम ही
नहीं है न भरोसा
तुम मेरे साथ मिलकर
चलो तो सही…
जान जाओगो
खुद ही...!!!
--------------------------------------------------------------
_________आपका अपना____'अखिल जैन'________
तुम्हारी ये सरलता भाती है सबको...
जवाब देंहटाएंअपनी सरलता को न त्यागना कभी...
देखना कारवाँ बन जायेगा...