कभी तन्हाईयो में
गुजरो तो जाने
होता कैसा दस्तूर ये
सीने से लगाओ तो
जाने...
तन्हाईया तुम्हारी ख्वाहिशो
की पूरक ही है
इसे पाकर मुस्कराओ
तो जाने.....
छीन लो तुम वो भी
जो शेष मात्र है
पर,
तन्हाई में हो जाओ
मुझसे ही
तो जाने...!!!
-------------------------------------------------------------
_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें