मेरे घर के आले में
रखी है एक 'माचिस'...
दादा जी इससे...
करते थे
उजाला, चिमनियाँ जलाकर
शाम को अँधेरा होने पर
दादी जी जलाती थी चूल्हा
माचिस जलाकर
जिससे बनता था हमारा भोजन...
माँ
उसी माचिस से जलाती है
प्रतिरोज एक दीपक
भगवान के सामने
और...!
मै...,
उसी माचिस से..
सिगरेट जलाता हूँ !
शायद ??
मेरा लड़का..
उसी माचिस से
जलाकर जला देगा..
इस दुनिया को....!!!
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........आपका अपना....'अखिल जैन'
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