हा... हा... हा...
सोचते तो होंगे ,तुम
कि जाग कर ,रो रहा होगा
हा... हा... हा...
पहले भी गलत थे
और अब भी..
हा... हा... हा...
मैं जाग रहा हूँ इस
मध्य रात्रि में
सच है
पर ,नहीं तुम्हारे
लिए....
हा... हा... हा...
सुबह आकर मेरा चेहरा
देख लेना
आँखों से गीत ही
टपकेगा
टूट जायेगा भ्रम
तुम्हारा...
हा... हा... हा...
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_________ आपका
अपना ‘अखिल जैन’______________
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