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शुक्रवार, 19 जून 2015

सुर-१७६ : "शर्त और जिंदगी..."

शर्तो पर रखी जिन्दगी

शर्तो जैसी ही होती है..
दम तोडती सी... 
साँसे छोडती सी...
काश !
जिन्दगी ने रखी होती
शर्त...
शर्त न लगाने की तो
शायद...
जिन्दगी होती फिर
जिन्दगी के अहसास सी..
कुछ खास सी....
अखिल 
एक ख्याल यूँ ही ....
बस अभी अभी...!!!
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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________

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