आओ दिल्लगी कर लो
तुम भी...
इजहार करना
प्यार करना
दिखाना ख़ुशी देने के
झूठे स्वप्न
फिर किसी दिन होकर
मदमस्त...
बिस्तर पर समेत लेना
प्यार को अपने
फिर एक दिन
वही जिसके लिए दिल्लगी
की गई...
निचोड़ कर
छोड़ देना
मार देना उसे
या खुद ही मर जायेगी वो
दिल्लगी में तुम्हारी
जिन्दा होकर भी...
आओ कर लो दिल्लगी
तुम भी...!!!
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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________
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