कौन हो तुम???
और क्यों आई अचानक से
कहाँ थी अब तक ?
रात को सोया था तब
तुम नहीं थी पास
हर रात की तरह अकेला था
कलम के साथ ही...
पर, आज नींद खुलते ही
साथ हो तुम
मौसम भी सुहाना सा है
फूल कुछ ज्यादा ही रंगीन है
कुछ तो बदला है
शायद...
नजरिया बदला हो मेरा
या आँखे ही
ये आवाज कैसी
तुम्हे प्यार करती हूँ मैं...!!!
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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________
सुन्दर है ये आवाज ....
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