सोमवार, 22 जून 2015
कविता-१७९ : "तुम-सा होना..."
समुद्र की गहराई पर लिखना
या लिखना समुद्र की लहरों पर
समुद्र हो जाना है क्या ??
जब नहीं तो...
तुम पर लिखकर
तुम सा कैसे..
हो सकता हूँ मै...???
-------------------------------------------------------------
_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें